यह है लाल किला
आज हम आपको किला के बारे में कुछ जानकारी देगे ,जैसे की,लाल किला देश की उन सुप्रसिद्ध इमारतों में से एक है,जो कि जिसे देश ही नहीं, तो बल्कि यह तो दुनियाभर से देखने के लिए लोग आते हैं,पर यह तो जब से लाल किले का निर्माण 1648 में मुगलों की पांचवी पीढ़ी के शासक शाहजहां ने अपने महल के तौर पर करवाया था,पर यह तो जब से उस समय भारत इतना समृद्ध था कि इसे 'सोने की चिड़िया' कहा जाता भी तो था,यह तो जब से तत्कालीन समय के ऐश्वर्य और ही स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है,पर जब से लाल किला,पर चूंकि यह भवन लाल रंग का था, इसीलिए इसका नाम लाल किला पड़ गया,और तो यह गौरतलब है ,कि मुगलों ने यहां 200 साल तक निवास किया गया था.।
आगरा का किला
पर यह तो आगरा का किला भी तो दिल्ली के लाल किले के जैसा ही नजर आता भी तो है,पर यह तो इस किले में घूमते हुए आपको मुगलकालीन शानोशौकत नजर आएगी,पर तो किले में लगने वाला दरबार यानी दीवान-ए-आम, मुगलकाल के अफसरों के लिए भी तो योजनाएं बनाने का स्थल दीवान-ए-खास, बंगाली झोपड़ी के आकार की छतों वाला स्वर्ण मंडप जैसे ही स्थल आपका मन मोह लेंगे,पर तब से यह तो यहां की मोती मस्जिद को देखना भी यह आपके लिए एक यह अनूठा अनुभव होगा,कि दरअसल यहां हरम में रहने वाली महिलाएं नमाज अदा किया करती थीं,पर यह तो जब से व्हाइट मार्बल की बनी इस छोटी सी मस्जिद के अहाते में बैठकर आप गुजरे जमाने के सुनहरे अतीत की कल्पना कर सकती हैं,पर क्या साथ ही यहां नगीना मस्जिद, रंग महल, शीशमहल, मछली महल की भी सुंदरता भी देखने लायक है,तो यह कुल मिलाकर भी तो आगरा का किला देखना आपके लिए पूरी तरह से पैसा वसूल भी है.।
खजुराहो मंदिर यह
और तो यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शुमार खजुराहो के मंदिर मध्यप्रदेश ही नहीं,यह तो बल्कि दुनियाभर में सबसे अनूठे ऐतिहासिक स्थल भी तो है,पर जब से दरअसल ये हिन्दू और जैन मंदिरों का समूह है,पर तो जो झाँसी से 175 किलोमीटर दूर भी तो दक्षिण में स्थित है,पर क्या यह तो खजुराहो अपनी ही तो नागरा आकृति और कामोत्तेजक मूर्तियों के लिए विश्वविख्यात है,पर तब से खजुराहो के मंदिरो का भी तो निर्माण 950 और 1050 ईस्वी में चंदेला राजाओं के समय में हुआ था,और जब से इतिहासिक के एक्सपर्ट्स के अनुसार 12वीं सदी से खजुराहो मंदिरो के समूह में कुल 85 मंदिर हैं,पर तो जो 20 किलोमीटर वर्ग के भी दायरे में स्थित हैं,और यह तो इनमें से अब केवल 20 मंदिर ही बचे हुए है जो 6 किलोमीटर के दायरे में रह गए भी हैं.।
आज हम आपको किला के बारे में कुछ जानकारी देगे ,जैसे की,लाल किला देश की उन सुप्रसिद्ध इमारतों में से एक है,जो कि जिसे देश ही नहीं, तो बल्कि यह तो दुनियाभर से देखने के लिए लोग आते हैं,पर यह तो जब से लाल किले का निर्माण 1648 में मुगलों की पांचवी पीढ़ी के शासक शाहजहां ने अपने महल के तौर पर करवाया था,पर यह तो जब से उस समय भारत इतना समृद्ध था कि इसे 'सोने की चिड़िया' कहा जाता भी तो था,यह तो जब से तत्कालीन समय के ऐश्वर्य और ही स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है,पर जब से लाल किला,पर चूंकि यह भवन लाल रंग का था, इसीलिए इसका नाम लाल किला पड़ गया,और तो यह गौरतलब है ,कि मुगलों ने यहां 200 साल तक निवास किया गया था.।
आगरा का किला
पर यह तो आगरा का किला भी तो दिल्ली के लाल किले के जैसा ही नजर आता भी तो है,पर यह तो इस किले में घूमते हुए आपको मुगलकालीन शानोशौकत नजर आएगी,पर तो किले में लगने वाला दरबार यानी दीवान-ए-आम, मुगलकाल के अफसरों के लिए भी तो योजनाएं बनाने का स्थल दीवान-ए-खास, बंगाली झोपड़ी के आकार की छतों वाला स्वर्ण मंडप जैसे ही स्थल आपका मन मोह लेंगे,पर तब से यह तो यहां की मोती मस्जिद को देखना भी यह आपके लिए एक यह अनूठा अनुभव होगा,कि दरअसल यहां हरम में रहने वाली महिलाएं नमाज अदा किया करती थीं,पर यह तो जब से व्हाइट मार्बल की बनी इस छोटी सी मस्जिद के अहाते में बैठकर आप गुजरे जमाने के सुनहरे अतीत की कल्पना कर सकती हैं,पर क्या साथ ही यहां नगीना मस्जिद, रंग महल, शीशमहल, मछली महल की भी सुंदरता भी देखने लायक है,तो यह कुल मिलाकर भी तो आगरा का किला देखना आपके लिए पूरी तरह से पैसा वसूल भी है.।
खजुराहो मंदिर यह
और तो यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शुमार खजुराहो के मंदिर मध्यप्रदेश ही नहीं,यह तो बल्कि दुनियाभर में सबसे अनूठे ऐतिहासिक स्थल भी तो है,पर जब से दरअसल ये हिन्दू और जैन मंदिरों का समूह है,पर तो जो झाँसी से 175 किलोमीटर दूर भी तो दक्षिण में स्थित है,पर क्या यह तो खजुराहो अपनी ही तो नागरा आकृति और कामोत्तेजक मूर्तियों के लिए विश्वविख्यात है,पर तब से खजुराहो के मंदिरो का भी तो निर्माण 950 और 1050 ईस्वी में चंदेला राजाओं के समय में हुआ था,और जब से इतिहासिक के एक्सपर्ट्स के अनुसार 12वीं सदी से खजुराहो मंदिरो के समूह में कुल 85 मंदिर हैं,पर तो जो 20 किलोमीटर वर्ग के भी दायरे में स्थित हैं,और यह तो इनमें से अब केवल 20 मंदिर ही बचे हुए है जो 6 किलोमीटर के दायरे में रह गए भी हैं.।
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