प्र●1●जीवन का सब से बड़ा ड़र क्या है इसान का!
1,june,2018
◆राहुल 12th क्लास का स्टूडेंट है पढ़ने में बहुत अच्छा है लेकिन पता नहीं क्यों उसके दिमाग में यह बैठ गया है कि कहीं वह फाइनल परीक्षा में असफल (Fail) ना हो जाए!
◆परीक्षा में फेल होने का डर उसे हर समय लगा रहता है इस कारण से वह की अच्छी तरह तैयारी भी नहीं कर पाया और अब राहुल को जैसे ही पता चला है कि इसी महीने की 25 तारीख को उसका रिजल्ट आने वाला है, तो उसका यह डर बहुत बढ़ गया हैअब इधर राहुल के पड़ोसी शर्मा जी को ही देख लो, उनका जींस और शर्ट बनाने का बिज़नेस चल रहा है उनके दिमाग में हमेशा यही रहता है कि कहीं बिज़नेस में नुकसान न हो जाए!
◆बिज़नेस में नुकसान होने का डर हमेशा वह अपने साथ लेकर चलते हैं और इसी कारण वह अपने में सही से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं!
◆ इस दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो जिंदगी भर किसी न किसी डर या भय को अपने मन में बैठा कर रखते हैं और इसके कारण लगातार असफल होते रहते हैं!
◆इस तरह के डर के साथ कुछ लोग सफल भी हो जाते हैं लेकिन अपने काम में वह उतना अच्छा आउटपुट नहीं दे पाते जितना वह बिना डर के दे सकते थे!
◆ सबसे ज्यादा मजे की बात यह होती है कि डर के शिकार हुए बहुत से लोग जीवन भर यह समझ ही नहीं पाते कि उनके अंदर भय ने घर बना लिया है और इसी के कारण वह लगातार असफल होते जा रहे हैं!
◆यदि उन्हें अपने डर के बारे में सही से जानकारी होती या कोई उन्हें इसके बारे में बताता तो हो सकता है कि बहुत से लोग जो डर के शिकार हो चुके हैं, अपने डर को काबू में कर लेते और फिर सफलता पर निकल पड़ते!
◆मेरा मानना है कि लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए कि कहीं वह डर का शिकार तो नहीं हो चुके हैं जिसके कारण वह हो रहे हैं। बस यही बात सोचकर मैं यह आर्टिकल लिख रहा हूँ!
(जीवन के 5 सबसे बड़े डर)
◆आज मैं आपको जीवन में आने वाले 5 ऐसे के बारे में बताऊंगा जिनमे से किसी एक का भी यदि कोई व्यक्ति शिकार हो जाये तो वह जीवन में तरक्की नहीं कर सकता!
◆जीवन में सफलता के रास्ते में आने वाले इन के बारे में कृपया बहुत ध्यान से पढ़िए और यदि आपको लगे कि इनमे से कोई डर आपका रास्ता रोके बैठा है तो तुरंत उसे दूर करने के बारे में सोचिये!
★जीवन में असफल होने का डर असफल हो जाने का डर आजकल बहुत से लोगों में देखने को मिल जाता है इस डर का होना सामान्य माना जाता है लेकिन यदि यह किसी के असफल होने का कारण बन जाये तब तो यह चिन्ता की बात होनी चाहिए हो जाने का डर यदि किसी स्टूडेंट या बिजनेसमैन या किसी भी ऐसे व्यक्ति को लगने लगे जो अपने काम में सफल होना चाहता है तो उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है!
★ऐसा व्यक्ति मन लगाकर अपने कार्य को नहीं कर पाता और जिसकी वजह से उसके असफल होने की संभावना बढ़ जाती है!
◆नुकसान हो जाने का डर आजकल लोग कई तरह के कार्य एक साथ करना चाहते हैं ताकि अधिक से अधिक profit लिया जा सके। इसी वजह से नुकसान या हानि हो जाने का डर आजकल बहुत बढ़ता जा रहा है में होने का डर, जॉब करते हुए किसी अनजान नुकसान का भय आदि बहुत से ऐसे डर हैं जो सीधे से जुड़े होते हैं!
★ऊपर दी गई शर्मा जी की कहानी तो आपको पता ही होगी। वह बिज़नेस में loss हो जाने के डर से अपने बिज़नेस को सही से नहीं चला पा रहे हैं यदि सही समय पर उन्होंने इस Fear को नहीं छोड़ा तो उनके बिज़नेस के असफल होने की बहुत अधिक संभावना है!
◆कुछ गलत” हो जाने का डर आजकल की Busy life में यह डर बहुत सामान्य होता जा रहा है जिसके कारण लोगों को बहुत से नुकसान उठाने पड़ते हैं इस डर के शिकार लोग काम तो कर रहे होते हैं लेकिन कार्य करते समय उन्हें हमेशा यह अनुभव होता रहता है कि “कहीं मैं यह काम गलत तरीके से तो नहीं कर रहा हूँ या “क्या मैं यह कार्य कर पाउँगा” या “क्या यह काम करना सही होगा!
★इस प्रकार के डर का अनुभव करने से व्यक्ति उस कार्य को सही से नहीं कर पाता और असफल हो जाता है वह हमेशा यह समझता है कि या तो काम गलत था या मैं उसे सही से नहीं कर पा रहा था, इसीलिए मैं असफल हो गया। जबकि उसके डर ने उसे हराया!
◆लोगों द्वारा अस्वीकार किए जाने का डर बहुत से लोग इंटरव्यू में सफल केवल इसीलिए नहीं हो पाते क्योंकि उनको हमेशा यह डर सताता रहता है कि कहीं वह interview में reject न कर दिए जाएँ!
◆कोई भी नया काम बहुत से लोग केवल इसीलिए नहीं करते क्योंकि वह सोचते हैं कि लोग उन्हें और उनके काम को अस्वीकार न कर दें लोगों द्वारा उनको और उनके कार्यों को अस्वीकार (Reject) करने का डर उन्हें असफलता की ओर ले जाता है!
◆यदि इस डर को सही समय पर समझकर दूर न किया जाये तो इसका शिकार व्यक्ति जिंदगी भर कोई काम सही से नहीं कर पाता!
(डर के आगे जीत हैं अपना होसला)
◆बहुत समय पहले की बात है,एक जंगल में एक चूहा था जो हमेशा बिल्ली के डर से सहमा सहमा रहता था बिल्ली के डर के कारन वो अक्सर अपने बिल में ही छुप कर रहता था,न तो अपने साथी चूहों के साथ खेलता और न ही बाहर निकलने का साहस जुटा पाता था!
◆एक दिन एक बुजर्ग चूहेने उस डरपोक चूहे को एक चमत्कारी स्वामीजी के बारे में बताया जो सबकी मदद करते थे डरपोक चूहा बड़ी हिम्मत कर बिल के बाहर निकला और स्वामीजी के पास गया। चुहेने अपनी समस्या स्वामीजी को बताई और मदद की गुहार लगाकर रोने लगा स्वामीजी को उस चूहे पर दया आने लगी और उन्होंने उस चूहे को आशीर्वाद देकर अपने शक्ति से बिल्ली बना दिया!
◆कुछ दिनों तक बिल्ली ठीक रही पर अब उसे कुत्तो का डर सताने लगा,वह फिर स्वामीजी के पास जाकर रोने लगा स्वामीजी ने उसे अपनी शक्ति से कुत्ता बना दिया कुत्ता बनने के बाद वह जंगल में शेर से डरने लगा स्वामीजी ने उसे शेर बना दिया!
◆शेर की ताकत और क्षमता होने के बावजूद अब वह शिकारी से डर-डर कर रहने लगा वह फिर से स्वामीजी के पास गया और मदद की गुहार लगाने लगा स्वामिजी ने शेर की बात सुनकर उसे फिर से चूहा बना दिया और कहा,मै अपनी शक्ति से चाहे जो कर लू या तुम्हे जो बना दू फिर भी मै तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकता क्योंकि तुम्हारा दिल हमेशा उस डरपोक चूहे वाला ही रहेंगा!
◆यह सिर्फ एक कहानी नहीं है कही न कही हम सभी में से बहुत से लोगो की यही हकीकत है आज हम सब किसी न किसी डर के खौंफ में जी रहे है किसी को मौत का डर है,किसी को अपनों से बिछड़ने का,अस्वीकृति का ,बॉस का या फिर असफल होने का डर है डर नामक इस बीमारी की वजह से हम हम उस मुकाम तक नहीं पहुच पाते जीसके की हम काबिल है गब्बर ने भी सही कहा है,जो डर गया समझो मर गया!
◆आप जितना अपने डर से दूर भागेंगे वह उनता ही आप के पास आकर आप पर हावी हो जायेंगा जिस दिन आप हिम्मत उठाकर उसका सामना करेंगे वह पल भर में गायब हो जायेंगा और तब आपकी समझ में आ जायेंगा की जिससे आप डर रहे थे वो केवल आप के मन का वहम है अपने मन में बसे डर को दूर भगाकर आत्मविश्वास और मेहतन से आप अपनी हर मंजिल को हासिल कर सकते है!
(ड़र )
◆कई जगहों का ज़्यादा ठंड़ा होना कहा जाता रहा है कि जहां भूत होते हैं वह जगह ज़्यादा ठंडी होती है. दरअसल ऐसा कुछ नहीं है. ये सिर्फ़ उस जगह पर गर्म हवा के दबाव से ठंडी हवा का दवाब कम होना होता है, जिसके कारण उस जगह पर नमी होती है और वो जगह ज़्यादा ठंडी होती है!
◆ सुनसान रास्ते पर डर लगना हमें डराने वाला कोई नहीं, सिर्फ़ हमारा दिमाग होता है. सुनसान रास्तों पर जब हम अकेले हों तो हमारी सोच अकसर गलत हो जाती है और हम डरावनी बातें याद करने लगते हैं. ऐसे में हमें डर लगना जायज़ होता है. लेकिन अगर हम कुछ और सोचने लगें तो ये डर खुद-ब-खुद गायब हो जाता है!
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