हम आदि कैसे बनते है.।

प्र●>सोचिए हमने साइकिल चलाना कैसे सीखें इसके  है .।
●<>पहले सतर को अवचेतन अयोग्यता करते हैं यह वसतर है जब हम नहीं जानते कि हम नहीं जानते बच्चा यह नहीं जानता कि साईकिल चलाना क्या है अवचेतन कि वह साइकिल चला सकता है और योग्यता यह अवचेतन अयोग्यता का सफर है .।
●<>दूसरा शतक चेतन अयोग्यता कहलाता है यह एहसास तब होता है जब बच्चा थोड़ा बड़ा होकर जान जाता है कि साइकिल चलाना क्या है मगर वह खुद नहीं चला सकता इसलिए वह चेतन तो है मगर आयोग या नहीं फिर वह साइकिल चलाना सीखता है .।
●<> तीसरा शहर है जो चेतन योग्यता कल आता है जब वह साइकिल चला तो सकता है मगर ऐसा करने के लिए उसे हर बार चेतन रूप से सोचना पड़ता है इस तरह इन सभी चेतन सोच और प्रयास के साथ बच्चा साइकिल चलाने योग्य है.।
●<>चौथा अवचेतन योग्यता का है यह तो पता है जब बच्चे ने पूरी समझ के साथ साइकिल चलाना इतनी अच्छी से सीख लिया होता है कि उसे अब सचेत रूप से सोचना नहीं पड़ता यह सिलसिला अपने आप चलने लगता है साइकिल चलाते समय पर लोगों से बातें कर सकता है और दूसरों को हाथ से इशारा कर सकता है इसका मतलब यह है कि वह अवचेतन योग्यता के 70 पर पहुंच गया है इस अवसर पर हमें ध्यान देने और सोचने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह हमारे दरबार में खुद-ब-खुद उतरने लगता है यही वो तंत्र है जहां हम अपनी अच्छी आदतों को पहचानना चाहते हैं दुख की बात है कि हमारे कुछ बुरी आदतें हमारे अवचेतन योगिता के 70 तक पहुंच जाती है और वह हमारी तरक्की में रुकावट डालती है तजुर्बा और अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 90% सिगरेट पीने वाले इसकी आदत 21 साल की उम्र से पहले ही डाल चुके हैं अगर किसी ने 21 वर्षीय की उम्र में सिगरेट पी हो तब इसकी गुजारिश बहुत कम है कि उस जिंदगी में इसकी लत पड़ेगी इससे साफ जाहिर होता है कि सिगरेट पीने की आदत हमारे अवचेतन मन में कच्ची उम्र से ही पढ़ चुकी होती है और इसके लिए हमारा दिमाग छोटी उम्र से ही डालना शुरू हो जाता है.।

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