अच्छी आदतों के निर्माण के लिए 21 दिन का फार्मूला जैसे कि.।

आत्म सुझाव क्या है आप जैसा इंसान बनना चाहते हैं इस सोच को वर्तमान काल में कहे जाने कोई आत्म सुझाव करते हैं आत्म सुझाव इतिहास की तरह है जो आप अपने आपको अपने बारे में अपने लिए लिखते हैं यह आपके चेतन और अवचेतन मन दोनों को प्रभावित करते हैं जिसका सर आपके नजरिया और व्यवहार पर पड़ता है आत्म सुझाव आपके अवचेतन मन को डालने रोगन करने का एक तरीका है आत्म सुझाव अच्छे या बुरे हो सकते हैं जैसे कि मैं थका हुआ हूं मैं फोतीला नहीं हूं मेरी याददाश्त कमजोर नहीं साथ में अच्छा नहीं जब हम बुरे आत्म सुझाव को बार-बार दोहराते हैं तब हमारा जीवन में उतर जाते हैं मिसाल के तौर पर जब मैं किसी से बात करते हैं समय भूल जाऊं कि मुझे क्या करना था तो मैं उस आदमी से कहता हूं देखिए मैं भूल गया जो मुझे करना था मेरी याददाश्त बहुत कमजोर है इस से साफ जाहिर होता है कि अवचेतन मन यकीन करता है याददाश्त कमजोर है और उसे व्यवहार में उतार लेता है जिनका वास्तव अपराध से पहली बार पढ़ता है वह इससे नफरत करते हैं लेकिन इसके अनुभव सेवर इसके आदी हो जाते हैं और अगर अनुभव बहुत लंबा होता है तो इसे अपना भी लेते हैं और इस तरह यह अपनी बदकिस्मती का पन्ना खुद लिखते हैं एक देती जब किसी विश्वास को बार-बार दोहराता है तो उसके अवचेतन मन में गहराई में बैठ जाता है और यह असलियत का रूप ले लेता है बार बार दोहराया गया चुटिया तो असलियत में बदल सकता है या सच भी माना जा सकता है सही आत्म सुझाव का तरीका मेडिकल और स्पोर्ट्स के क्षेत्र में काफी इस्तेमाल किया जा सकता है आत्म सुझाव होने चाहिए क्योंकि हम अपने दिमाग में जो बनाया बनना चाहते हैं उसकी तस्वीर बनाई जाए उसके लिए हम क्या नहीं बनाया बनाना चाहते हैं कोई भी तस्वीर जो हमारे दिलो-दिमाग में ज्यादा देर तक रहती है असलियत का रुप ले लेती है और बार-बार दोहराने का इसलिए एक इंसान जब इन वाक्यों को लंबे समय तक दोहराता है तो ऐसा करके वह उन्हें अपने अवचेतन मन की बुराई में बैठा देता है मिसाल के तौर पर मैं आराम से हूं मैं शांत हूं मैं देर और गंभीर हूं और आत्म सुझाव के रूप में नहीं होनी चाहिए जैसे मैं गांव में नहीं हूं मैं गुस्सा नहीं करूंगा संघात्मक वर्क के लिए बनाए जाते हैं क्योंकि हमारी सोच एक तस्वीर के रूप में आती है ना कि शब्दों के रूप में अगर मैं कहूं नीले हाथी के बारे में मत सोचो तो आपके मन में पहली तस्वीर कौन सी आती है नहीं आती कि जब मैं कहता हूं मैं तो आपके दिमाग में क्या आता है मां की तस्वीर है उसकी स्पेलिंग जब हमारे हाथ में कोई नकारात्मक शब्द शामिल होता है तो यह एक गलत तस्वीर बनाता है जिस से हमें बचना चाहिए और दूर रहना चाहिए वर्तमान काल में ही क्यों क्योंकि हमारा मन एक काल्पनिक और वास्तविक अनुभव में फर्क नहीं कर पाता मिसाल के तौर पर मां बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा 9 ़30 बजे तक घर आ जाए लेकिन बच्चा देर घर नहीं लौटा और जब एक बच्चा रहा मां-बाप के मन में क्या चल रहा है यह आशा कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक है मैं आशा करता हूं कि बच्चे के साथ कोई दुर्घटना ना हुई हो फिर क्या होता है उनका ब्लड प्रेशर बढ़ता है यह एक काल्पनिक अनुभव चाहिए है वह जैसे कि बच्चा किसी पार्टी में मौज मस्ती में मस्त गुल्लू और गैर जिम्मेदारी दिखा रहा हो और वह उस समय नहीं लौटा जब उसे रोकना चाहिए था अब परिस्थिति को उल्टा करके देखें मान ले कि बच्चा बहुत जिम्मेदार है और वास्तव में वह 9:30 पर घर आने वाला है मगर एक दुर्घटना का शिकार हो गया और वह  घर नहीं पहुंचा मां-बाप के ब्लड प्रेशर का क्या हाल हो रहा होगा वह फिर भी बढ़ेगा पहले हालात में अनुभव काल्पनिकता और दूसरे ओवर में वास्तविक मगर शरीर पर दोनों का सर एक साथ था हमारा मन काल्पनिक और वास्तविक अनुभव में फर्क नहीं महसूस करता.।

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