हम हमेशा अच्छे इंसान की तलाश में रहते हैं फिर चाहे वह मालिनी कर्मचारी जीवनसाथी मां बाप बच्चे ही हो हम यह भूल जाते हैं कि हमें भी अच्छा इंसान बनने की जरूरत है तजुर्बा यही बताता है कि कोई इंसान परफेक्ट नहीं होता वही नौकरी परफेक्ट नहीं होती वह कोई जीवनसाथी भी परफेक्ट नहीं होता जब हम पूर्णता की तलाश करते हैं तो हमें निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि तब हम यही पाती कि एक तरह की परेशानी के बदले दूसरे तरह की परेशानी आ गई है परिचय में 20 साल तक रहने के बाद मैंने पाया है कि वह तलाक किधर बहुत ऊंची है और सब लोग दूसरे शादी करते हैं तो पाते हैं कि उनके नए जीवन साथी ई में पहली जीवनसाथी वाले कमियों तो शायद हो या ना हो लेकिन कुछ दूसरी तरह बहुत सी कमियां होती है इसी तरह लोग नौकरी बदलने है या कर्मचारियों को नौकरी से यह सोचकर निकालते हैं कि उनके बदले में और अजय मिलेंगे लेकिन उन्हें पता चलता है कि एक कमी से छुटकारा पाया तो दूसरी गले पड़ गई चलिए कोशिश करें और इन चुनौतियों का सम्मान करें और तलाक और नौकरी से निकाले जैसे कदमों का पहला नहीं आखरी सहारा बनाएं दोस्ती त्याग मांगती है यह इमारत लेती है दोस्ती और रिश्ते बनाए रखते हैं या त्याग निष्ठा और समझदारी की जरूरत पड़ती है त्याग के लिए बहुत कुछ खास करना पड़ता है और इत्तेफाक से नहीं होता स्वार्थ की भावना दोस्ती को तोड़ देती है हल्के फुल्के रिश्ते तो आसानी से बन जाते हैं लेकिन सच्ची दोस्ती बनाने और बनाए रखने में समय अभ्यास की जरूरत होती है दोस्ती जब इंसान की गलियों से गुजरती है जो उन्हें पास जो जाए वही मजबूत बनती है हमें झूठे रिश्ते को पहचानना सीखना चाहिए सच्चे दोस्त कभी भी अपने दोस्तों का नुकसान नहीं चाहते सच्ची दोस्ती जितना लेती है उसे ज्यादा देती है और धूप में भी मजबूत खंभे के समान टिकी रहती है.।
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