प्रेरणादायी जीवन परमात्मा के प्रति संपत्ति भावी भक्ति का केंद्रीय तत्व है.।

परमात्मा के प्रति संपत्ति भाव भक्ती का केंद्रीय तत्व है हिंदी साहित्य के मध्य काल के पूर्व में रचा गया अधिकांश काव्य भक्ति केंद्रीय भक्ति के अंतर्गत निरंतर परमात्मा के सानिध्य का अनुभव भक्ति की भाव भूमि है उनके साथ भक्तों की दाल भाव व्यास का भाव रूप से संपत्ति का भाव संभल भक्ति की दास भाव या स का भाव रूप में संपत्ति का भाव संग्राम भक्ति के अंतर्गत आने वाली भाव प्रति है ज्ञान और भक्ति में दो मार्ग परमात्मा को प्राप्त करने के आधार है ज्ञान का मार्ग कठिनाइयों से भरा जबकि भक्ति का मार्ग सब कुछ सहज को सुला दे भक्तों के अंतर्गत सभी मानव परमात्मा के साथ अपनी संघ नेता अनुभव कर सकते हैं भक्ति योग में भक्ति सामाजिक परिवर्तन का आधार है इसलिए यह भी उसी रूप में घोषित किया गया था कि जाती पर जाती पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि का होई भक्ति व्यक्ति के आंतरिक संस्कारों को पराजित करने का आधार है वही हम सामाजिक परिष्करण का भी मार्ग प्रशस्त करती है भक्ति का एक शख्स भावना है इसलिए जब भी हम ईश्वर के संपन्न होते हैं और जब भी हम सामाजिक कल्याण की भावना से परिपूर्ती होते हैं तब एक भक्तों की भूमिका में ही हम होते हैं भक्त परमात्मा से अपना संबंध जब दास रूप में स्थापित कर लेता है भक्त परमात्मा से अपना संबंध जब दास रूप में स्थापित कर देता है तब वह स्वयं अपने भीतर भगवान के विराट रूप से भर उठता है इसलिए भाव की भक्ति कवि रैदास की है तुम चंदन हम पानी तभी वह रात-दिन ईश्वर शरण में लीन रहना चाहते रैदास आचरण से मुलाकात थे और साधन में लीन रहते हैं उन्होंने परमात्मा को कृष्ण राम गोविंद नाम से स्मरण किया है उनके भाव में गाय और साधना के साथ में था और आत्मसम्मान से भक्त भक्ति और साजन की कसौटी पर मीराबाई पूर्ण रुपेन खरी उतरी है वह कृष्णमय हो चुकी थी मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई का कर मेरा भाई ने संपूर्ण पारिवारिक और सामाजिक बंधनों से मुक्त रैली मेरा ने अपने काव्य वाचन से नारी मुक्ति पथ पसंद किया वह इस महीने में भक्तिकाल के प्रतिष्ठित में स्त्री जागरण का संदेश देने वाली पहली महिला कवयित्री मीराबाई के भजन के है इनका एक एक शब्द उनकी आत्मा अभिलाषा आदित्य उदाहरण कभी भी अपने आराध्या को पाकर संतुष्ट हो जाती है तो कभी उनके वीर में दुखी होकर उनकी प्रतीक्षा करती दिखाई पड़ती है मीराबाई की भक्ति में कहां कोई टूटा नहीं है वह तो सबको प्रभावित है उनका साधन और संपूर्ण देखकर सब नतमस्तक है.।

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