एनाटोमी ऑफ इन इलनेस के लेखक नॉर्मल संजीव एक जीती जागती मिसाल है कि इंसान लाइलाज बीमारी से अपने को कैसे ठीक कर सकता है उनके बचने की आशा ना के बराबर थी लेकिन इंजीनियर साबित करना चाहते थे कि अगर मन की शक्ति जैसी कोई चीज है तो व इसे साबित कर दिखाएंगे उन्होंने सोचा कि अगर नकारात्मक या बुरे ख्याल शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल पैदा कर सकते हैं तो इसका उल्टा भी सच होना चाहिए अच्छे ख्याल भाव जैसे खुशमिजाजी और हंसना शरीर में फायदा पहुंचने वाले केमिकल को पैदा करेंगे अस्पताल छोड़कर होटल के एक कमरे में चले गए और वहां उन्होंने बहुत सारी हंसी मजाक की फिल्में देखी शुरू की और इस तरह उन्होंने वास्तव में उपस्थित थे ठीक कर लिया बेशक दवाइयां जरूरी है मगर मरीज की ठीक होने की और जीने की इच्छा शक्ति भी उतनी ही जरूरी है एक फनी बॉय जीवन नस भी हो सकती है और साथ ही जीवन की मुश्किलों का सामना करना थोड़ा आसान कर देती है.।
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