जब हम कोई गलती करते हैं तो हमें उसे तुरंत और खुशी से स्वीकार करना चाहिए.।

कोई भी गलती करने पर हमें उसे तुरंत और खुशी से स्वीकार करना चाहिए जब मैं गलती करो तो मुझसे इतनी सकती हो कि खुद को बदल सकूं और जब मैं सही करूं तो मुझ में इतनी सकती हो कि मुझ में कंकर ना आए और लोगों को मेरे हाथ साथ रहने में सहूलियत हो यह जीने की अच्छी फिलॉसफी है कुछ लोग जीते हैं और सीखते हैं और हम कुछ लोग जीते हैं लेकिन कभी टिकते नहीं गलतियां में सीखने का एक मौका देती है उसमें गलती को दोहराना सबसे बड़ी गलती है अपनी गलती के लिए ना तो किसी पर दोष लगा है वह ना ही बहाने बनाए इस पर अड़े ना रहे जब आज आप अपनी गलती महसूस करें तो बहुत अच्छा होगा कि उसे स्वीकार करके माफी मांगे अपनी सफाई ना पेश करें क्यों गलती स्वीकार करने से दूसरा व्यक्ति भी नाम पड़ जाता है किसी दिन अगर कोई बहुत खुश मिजाजी के साथ सो कर उठे वह मुझे फोन करके कहे कि दुनिया में तुम सबसे महान आदमी हो तुम अच्छा काम कर रहे हो मैं तुम्हें याद बताना चाहता हूं कि तुम्हें अपना दोस्त कहने में मुझे गर्व महसूस होता है मैं जानता हूं कि वह इमानदारी से कह रहा है यह सुनकर मुझे कैसा लगेगा जाइए बहुत अच्छा मगर अगले दिन जब वह जुलाना के साथ सोकर उठता है और मुझे फोन करके कहता है कि तुम दुष्ट जालसाज और मक्कार हो तुम सर में सबसे बड़े धोखेबाज हो यह सुनकर मुझे कैसा महसूस होगा जाइए यह बहुत ही बुरा इस तरह जब उसने पहले दिन का तुम सबसे अच्छे आदमी हो मैंने अच्छा महसूस किया अगले दिन जब उसने मुझे दोस्ती कहा तो मैंने बहुत बुरा महसूस किया मेरी जिंदगी को कौन कंट्रोल कर रहा है यकीन वह आदमी क्या मैं अपना जीवन ऐसे गुजारता चाहूं गलती करने पर तुरंत उसी से स्वीकार करना ही यही बात है.।

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