पर्यावरणीय प्रभाव का निर्धारण तीश स्तरों में होता है प्रथम स्तर प्रारंभिक जांच व्दितीय स्तर तीव् प्रभाव निधारण तृतीय स्तर विस्तृत प्रभाव निधारण.।
किसी भी विकास परियोजनाओं का पर बीत जाने के लिए होता है कि क्या परियोजना के लिए प्रभाव निर्धारण की आवश्यकता है यदि ऐसा लगे कि परियोजना पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है तो प्रिय पर्यावरण निर्धारण की मदद ली जाती है इसके अंतर्गत संबंधित परियोजना की मुख्य बातों को जानने की कोशिश की जाती है जो मामले मत्वपूर्ण नहीं होते उन्हें हटा दिया जाता है प्रारंभिक एवं तीव् प्रभाव निर्धारण के बाद की स्थिति प्रभाव निर्धारण किया जाता है इसमें परियोजना के आलोचनातमक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर परियोजना को किया चित होने से रोका भी जा सकता है भारत में पर्यावरण प्रभाव निर्धारण का कार्य पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा किया जाता है मंत्रालय विभिन्न प्रकार के परिजनों के लिए पर्यावरणीय मूल्यांकन समिति घटित करती है यह परियोजनाएं नदी घाटियों सिंचाई खनन उद्योग ताप विद्युत पर्यटन धातु कर्म कपड़ा रबड़ चमड़ा कागज पर रासायनिक उद्योग आदि से संबंधित है आवश्यकता अनुरूप संबंधित विभाग की विशेष समिति गठित कर दी जाती है जो उससे संबंधित पर्यावरणीय प्रभाव अनुमानत तैयार करती है.।
( नमस्कार दोस्तों आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें और जानकारी के लिए फॉलो बटन को क्लिक करें.।)
Comments
Post a Comment