खुद से यह सवाल करें आपको कैसा लगता है जब आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आप की बात सुने लेकिन.।
● अरे सुनने से ज्यादा बोले.।
● आप की पहली बात पर हुए श्रीमती प्रकट करें.।
● वह हर कदम पर आपको ठोके.।
● वह देश भी दिखाएं और आपके हर वाक्य को खुद पूरा करें.।
● देश सुने लेकिन समझे नहीं आपको हर बात तीन बार दो रानी पड़े क्योंकि वह आपकी बात ध्यान से नहीं सुन रहे.।
● रे मुद्दे से हटकर नतीजे पर पहुंचे हैं जिनका तथ्यों से कोई मतलब नहीं है.।
● वैसे सवाल पूछे जिनका मुद्दत से कोई मतलब नहीं.।
● उनका ध्यान इधर उधर भटक रहा हो.।
● वह ना तो ध्यान दे रहे हो और ना सुन रहे हो.।
यह सभी बातें इस बात को दिखाती है कि उस इंसान को आपकी बातों या मुद्दों में कोई रुचि या दिलचस्पी नहीं और उसमें शिष्टाचार की अभाव है क्या नीचे लिखी बातें आप की अनसुनी किए जाने पर आप के मन के भाव को दिखाती है.।
● उपेक्षित.।
● अस्वीकृत.।
● निराश.।
● मायूस.।
● मामूली पन.।
● छोटा.।
● अनदेखी.।
● नीचा दिखाना.।
● नाराज.।
● बेवकूफ.।
● मतलब इन.।
● संविदा.।
● प्रेरणा हिना.।
● हताशा.।
इसका दूसरा पहल देखे आपको कैसा महसूस होता है जब आप चाहते हैं कि कोई आपकी बात सुने और.।
● आप को संतुष्ट बनाए
● सारा ध्यान आपकी तरफ लगाएं
● जरूरी और विषय से जुड़े सवाल पूछे
● आपकी बातों में दिलचस्पी ले.।
कुछ बुद्धि की रुकावटे भी हो सकती है जैसे की बादशाह की समझने की आती दूसरों को बोलने के लिए प्रेरित कर पाने के लिए खुद एक अच्छा होता बने आपके सुनने के ढंग से पता चलता है कि आप कितनी परवाह करते हैं दूसरे व्यक्ति के प्रति जब ऐसा ख्याल रखने वाले नजरिया आप दिखलाते हैं तो वह व्यक्ति खुद को महत्वपूर्ण महसूस करता है जो वह महत्वपूर्ण महसूस करता है तो क्या होता है उसका हौसला बढ़ जाता है और वह आपकी बातें सुनते के लिए भी और भी अच्छी तरह तैयार होता है खुले दिलवाला होने की एक मात्रा विश्व की पहचान खुले कान वाला भी होना जरूरी है.।
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