दर्द भरे विचार ...

हमारे दिल में अंदर आने का रास्ता तो होता है, लेकिन् बाहर निकालने का रास्ता नहीँ होता. इसीलिए जब भी कोई दिल से जाता है तो दिल तोड़कर जाता है खिलौना समज के युही तुम मेरा दिल तोड़ कर जाते हो, हम इस हालत में किसके भरोसे छोड़ जाते हो कैसे बयान करू अल्फाज़ अपने, दर्द का अब मुझे एहसास नहीं है, आप पूछते हो मुझे क्या दर्द हैं, मुझें दर्द है की अब तू मेरे पास नहीँ अब ये जरुरी तो नहीं की जिससें ख़ुशी मिले उससे मोहब्बत हो, क्योकिं सच्चा प्यार तो अक्सर दिल तोड़ देने वालोँ से ही होता हैं उन्होंने बताया की अपनी मेडिकल दृष्टी का उपयोग कर उन्होंने बताया की वह शरीर के भीतर के रंग-बिरंगी अंगो को देख सकती है और सभी तरह की मेडिकल समस्याओ का वर्णन कर सकती है।अपनी माँ के आंतरिक अंगो के वर्णन करने के बाद देमकिना की कहानियां स्थानिक लोगो के बीच धीरे-धीरे फैलने लगी और अपने घर से बाहर वह मेडिकल कंसल्टेशन का भी काम करने लगी।
2003 में उनकी कहानी को स्थानिक अखबारों में भी प्रकाशित किया गया और स्थानिक टेलीविज़न स्टेशन पर भी उनकी कला का प्रदर्शन किया गया। इन सभी प्रदर्शनों को देखते हुए ब्रिटिश टेबलायड न्यूज़पेपर को भी उनमे रूचि आने लगी और इसीलिए उन्होंने देमकिना को प्रदर्शन करने के लिए लन्दन आमंत्रित किया।
जैसे-जैसे डेमकिना की कहानियां लोगो में फैलने लगी. तभी से बच्चो के अस्पताल के डॉक्टर उन्हें बहुत से कार्यो के लिए आमंत्रित करते थे। कहा जाता है की देमकिना जो कुछ भी शरीर के भीतर देखती थी उसका चित्र बना देती थी। डिस्कवरी चैनल की डाक्यूमेंट्री में भी देमकिना की उपलब्धियों और क्षमताओ का वर्णन कर रखा है। उन्होंने सफलता पूर्वक एक्सीडेंट हुई महिला के शरीर में मेटल की पिन को खोज निकाला था। उनकी इन क्षमताओ का इंटरव्यू भी लिया गया है।
जनवरी 2004 में ब्रिटिश टेबलायड न्यूज़पेपर दी सन ने डेमकिना को इंग्लैंड बुलाया। और वहाँ जाकर डेमकिना ने बहुत से प्रदर्शन किए और उनकी जाँच रिपोर्ट की तुलना प्रोफेशनल मेडिकल जाँच रिपोर्ट से भी की जाती थी। 2004 में नताशा पहली बार टी. वी. पर नजर आई। डिस्कवरी चैनल पर प्रकाशित की गयी डाक्यूमेंट्री में उनकी रिपोर्ट को सफल साबित किया गया।
शुरू-शुरू में डेमकिना के प्रदर्शन को स्थानिक लोगो का अच्छा प्रतिसाद भी मिला। लेकिन जब उन्होंने यूनाइटेड स्टेट छोड़ा तो उनकी जाँच में बहुत सी गलतियाँ होने लगी थी।नताशा की इस क्षमता का कई बार टेस्ट किया गया और मिले परिणामों से डॉक्टर्स और वैज्ञानिक हैरान रह गए हैं। हालांकि कोई इसके पीछे स्पष्ट कारण नहीं पता लगा सका है। इनकी आंखे एक्स-रे मशीन की तरह काम करती है। जो किसी भी इंसान के अंदर के अंगों को देखकर उसकी बीमारी के बारे में पता लगा लेती हैं।नताशा की इस अद्भुत शक्ति के विषय में जानने वाले वैज्ञानिक भी इनकी इस अद्भुत क्षमता के रहस्य को नहीं जान पाए हैं। नताशा की इन खूबियों की जांच अमेरिका, लंदन, और जापान के बहुत से वैज्ञानिक कर चुके है। बहरहाल सच जो भी हो लेकिन नताशा की इन खूबियों ने उन्हें दुनियाभर में मशहूर कर दिया है।
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रामलाल की करतूतों से श्यामलाल को बड़ा दुःख हुआ. उसने रामलाल को समझाने और सही रास्ते पर लाने की कोशिश भी की. परन्तु वह नाकाम रहा. उलटे रामलाल श्यामलाल से खफा हो गया और व्यापार में बंटबारे का बहाना ढूंढने लगा. बंटबारे में भी उसने बईमानी की साजिश रची. घर में कलह का माहौल पैदा किया. अंततः रामलाल अपनी साजिश में सफल रहा और श्यामलाल के हिस्से के व्यापार पर भी वह कब्ज़ा कर बैठा. रामलाल के व्यव्हार से दुखी होकर श्यामलाल ने शहर में दूसरी जगह अपना ठिकाना बनाया और रत्न के अपने व्यापार को नए सिरे से शुरू किया. ईमानदारी की नींव पर शरू हुआ श्यामलाल का व्यापार जल्दी ही चल निकला. ईमानदारी सर्वोच्च नीति है कहानी यहाँ पढ़ें.

एक तरफ जहाँ श्यामलाल की ख्याति देश और विदेश में बढ़ने लगी वहीँ दूसरी तरफ रामलाल की करतूतों की पोल खुलने लगी थी. नकली रत्न के व्यापार के कारण रत्न बाज़ार में रामलाल की साख को जोरदार धक्का लगा और उसके व्यापार का दायरा सिमटने लगा. अंततः नौबत यहाँ तक आ गई कि बाहर क्या, अपने शहर का भी कोई व्यापारी रामलाल का नाम लेने से भी तौबा करने लगा. अब तो नौबत यहाँ तक आ गई कि रामलाल को धन के अभाव में अपना घर, दूकान, सामान तक बेचना पड़ रहा था. जल्दी ही रामलाल के हाथ से सबकुछ निकल गया और वह परिवार सहित सड़क पर आ गया. अब रामलाल को अपने किए पर पछतावा हो रहा था. परन्तु उसकी तक़दीर ने जो खेल खेल दिया था उससे आसानी से पीछे आना उसके लिए संभव नहीं था. दूसरी तरफ श्यामलाल की तक़दीर का खेल था जिसकी बदौलत वह रंक से राजा बन गया था.

जब रामलाल की बदहाली की खबर श्यामलाल को लगी तो उसे बड़ा दुःख हुआ. पुरानी बातों को भूलकर वह भागा-भागा अपने बड़े भाई रामलाल के पास पहुंचा और रामलाल के लाख मना करने के बाद भी उसे परिवार सहित अपने पास ले आया. यह भी तक़दीर का ही खेल था कि जिस भाई के साथ रामलाल ने बदसलूकी कर उसे सड़क पर पहुंचा दिया था, वही भाई आज उसे सड़क से उठाकर अपने घर में ले आया था.

कहानी से शिक्षा (Moral of the story)

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि तक़दीर कब किसके साथ क्या खेल खेल दे इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. हाँ, इतना जरूर है कि आपके कर्म ही आपकी तक़दीर लिखते हैं. जिस तरह रामलाल और श्यामलाल के कर्मों के आधार पर तक़दीर ने उसके साथ खेल खेला था. इसी तरह अच्छे कर्म करते रहना चाहिए क्या पता कल तक़दीर आपके साथ क्या खेल खेल जाये. इसलिए कहते तकदीर का खेल निराला है...?

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