खरगोश और कुछए की कहानी

खरगोश और कछुए की कहानी हम सभी जानते हैं खरगोश अपनी तेज चाल की रेलीग्रे आका करता था और एक दिन उसने कछुए को दौड़ के लिए चैलेंज किया कछुए ने उस चैलेंज को कबूल कर लिया उन्होंने एक लोमड़ी को अपना जज बनाया जिसने यह तय किया की दौड़ कहां से शुरू होगी और कहां खत्म होगी दौड़ शुरू हुई और कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा खरगोश ने तेज दौड़ लगाई और कछुए को बहुत पीछे छोड़ दिया और फिर सोचा कि एक झपकी ले लूं क्योंकि उसे पूरा भरोसा था की दौड़ वही जीतेगा जब वह सोकर उठा तो उसे दौड़ की याद आई और वह तेजी से भागा मगर उसने देखा कि कछुआ दौड़ खत्म करके पहले ही जीत चुका है.।
अनियमित कड़ी मेहनत से कहीं बेहतर है नियमित रूप से की गई थोड़ी सी कोशिश जो अनुशासन से आती है.।
अनुशासन और पछतावा दोनों ही दुख दायक है ज्यादातर लोगों को इन दोनों में से किसी एक को चुनना होता है जरा सोचिए इन दोनों में से कौन ज्यादा तकलीफदेह है.।

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