डर काल्पनिक भी हो सकता है और वास्तविक भी इसकी वजह से लोग अजीबो गरीब हरकतें करते हैं और यह खासकर समझदारी की कमी के कारण होता है डर में जीना जज्बाती जेल में रहने की तरह है.।
डर से असुरक्षा आत्मविश्वास की कमी और टालमटोल की सोच पैदा होती है डर हमारी समता और योग्यता दोनों को बर्बाद करता है हम सीधा सोच भी नहीं सकते यह हमारे रिश्ते और शेर को भी बर्बाद कर देता है.।
कुछ जाने पहचाने डर इस प्रकार हैः
का रहस्य दो बातों में छिपा है लगातार कोशिश और विरोध जो करना चाहिए उसकी लगातार कोशिश करो और डटे रहो जो न करने की चीज़ है उसका विरोध करो.।
कोई आदमी इसलिए हीरो नहीं होता कि वह किसी और से ज्यादा बहादुर है बल्कि इसलिए होता है क्योंकि वह अपनी बहादुरी दूसरों की तुलना में 10 मिनट ज्यादा दिखाता है.।
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