वजह और नतीजे के उसूल

सफल होने के लिए हमें वजह नतीजे के उसूलों को समझना और किया और प्रकृतियां के रिश्ते को समझना जरूरी है हर नतीजे की कोई ना कोई वजह होती है वजह नतीजे के उसूलों पीस बोलने और फसल काटने के उसूलों जैसे ही है बीज बोने और फसल काटने के उसूल पांच बातें बताते हैं.।

1. हम में बीज बोने की इच्छा होनी चाहिए इच्छा ही शुरुआत है.।

2. हम जो बोलते हैं वही काटते हैं अगर हम आलू बोलेंगे तो आलू ही कटेंगे टमाटर नहीं.।

3. फसल काटने से पहले हमें बीच बोलना पड़ेगा काटने से पहले बोने की प्रक्रिया आती है कुछ पाने से पहले कुछ देना जरूरी है हमें चूल्हे से जांच आज तक नहीं मिल सकती जब तक उसमें कोई लाना डाला जाए कुछ लोग हमेशा देने से पहले पाने की ताकत में रहते हैं मगर इस तरह काम नहीं चलता यह कुदरत का उसूल नहीं है.।

4. व्यापम एक बीज बोते हैं तो एक ही फल नहीं फलता बल्कि 20 जाएंगे हमारी पैदावार कई गुना हो जाती है अगर हम सही विचारों के बीच पाएंगे तो हमारी पैदावार भी कई गुना सही होगी और अगर हम गलत विचारों के बीच पाएंगे तो पैदावार भी कई गुना गलत होगी फिर भी ऐसा देखा गया है कि लोग कुदरत के उसूलों के खिलाफ जाते है.।

5. किसान अच्छी तरह जानता है कि हम बीज बोने और फसल काटने का काम एक ही दिन में नहीं कर सकते बोने और काटने के बीच एक निश्चित समय चाहिए ही होता है.।

यह भौतिक विज्ञान के नियमों की तरह है हर किया के लिए समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है ज्यादातर समय लोग नतीजे को बदलने की कोशिश में ही लगे रहते हैं जबकि उस नतीजे की वजह जय हो कि तू ही बनी रहती है या तो हम सच्चे विचार अपने दिमाग को लगातार देते हैं नहीं तो गलत विचार अपने आप खाली दिमाग को भर लेंगे बहुत से पुराने संग तूने वही कहा है जो चीज मैन्ने अपनी किताब h a n e केस में कहा हे इंसान का दिमाग एक बच्चे की तरह है अगर हम अच्छे बीच बोलेंगे तो बगीचा सुंदर होगा लेकिन अगर हम कुछ भी ना बोलें तो भी कुछ ना कुछ फायदा होगा और वेज जंगली घास-फूस होंगे यही कुदरत का उसूल है यही बात हमारी जिंदगी में भी खरी उतरती है मैं इसे स्पष्ट करने के लिए एक बात और जोड़ना चाहता हूं अगर अच्छे पौधों के बीच बी बॉय तो भी जंगली घास-फूस ही जाएंगे इसीलिए जंगली घास-फूस निकालने का काम लगातार चलता रहता है अगर आप एक गिलास में पानी ले और उसे जीरो डिग्री से भी कम तापमान में रख दें तो वह जम जाएगा इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है यह तो कुदरत का उसूल है वास्तव में उसका सिर्फ वही नतीजा होगा.।
हमारे विचार वजह है
आप जैसे विचार का बीज बोते हैं वैसा ही कर्म फलता है.
कर्म का बीज बोने पर आदत भी ऐसी फलती है
आदत का बीज बोने पर चरित्र वैसा ही फल देता है
चरित्र का बीज बोने पर किस्मत वेसी चलती है
इस सब की शुरूआत एक विचार से होती है.।

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