अहसानमंद होने का नज़रिया बनाएँ

अपनी नियम तो को गिने मुश्किलों को नहीं गुलाब की खुशबू का लुत्फ उठाने का वक्त निकालिए आमतौर पर हम सुनते हैं कि एक्सीडेंट या बीमारी की वजह से कोई अंदाजा अपाहिज हो गया लेकिन मुआवजे के तौर पर उसे लाखों डॉलर मिल गए हम में से कितने लोग ऐसे आदमी की जगह लेना चाहिए ज्यादा नहीं हमारे पास जो नहीं है उसका रोना रोने में हम इतने मशहूर हो जाते हैं कि जो है उसे भी नजरअंदाज कर देते हैं हमारे पास बहुत कुछ है जिसके लिए हम शुक्रगुजार होना चाहिए
      जब मैं आपकी मुश्किलों की नहीं बल्कि नियमों की लिए शुक्रगुजार होने की बात करता हूं तो मेरा मतलब यह नहीं कि आप जिस हाल में उसे हाल में संतुष्ट रहें अगर आपने मेरी बात का मतलब आत्म संतुष्टि निकालना है तो मैं अपनी बात को न समझ पाने के लिए दोषी हूं और आप दोषी अपना मनपसंद मतलब निकालने के लिए.
           मनपसंद मतलब निकालने की आदत की मिसाल देने के लिए मैं आप उस डॉक्टर की कहानी सुनाना चाहता हूं जिससे शराबियों के बीच भाषण देने के लिए बुलाया गया था वह वहां एक प्रदूषण करना चाहता था जिसे देखकर लोग समझ जाए के शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है इसके लिए उसने शीशे के 2000 लिए एक में साफ पानी भरा था और दूसरे में शराब उसने एक केचुआ साफ पानी के जार में डाला वह राम से उसने तैरता हुआ ऊपर आ गया दूसरा केचुआ उसने शराब के जार में डाला और देखते देखते सब की आंखों के सामने हुआ टुकड़े टुकड़े हो हो गया वह इस इस उदाहरण से साबित करना चाहता है कि शराब हमारे शरीर के अंदर ऐसे ही नुकसान पहुंचाती है उसने उन शराबियों से पूछो इनसे हमें क्या सबक मिला है तभी पीछे से एक आदमी बोला कि अगर आप शराब पिएंगे तो आपके पेट में कीड़े नहीं होंगे क्या यही संदेश को डॉक्टर देना चाहता था नहीं संगीत नहीं इस थी मनपसंद का मतलब निकाला था कहते हैं यानी हम वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते हो और वह नहीं जो कहां जा रहा है.।
हमारी बहुत सी नियम के जीते हुए खजाने की तरह होती है इसलिए अपने नियमों को जीने मुश्किलों को नहीं.।

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