जिन्दिगी कया है? कहने को तो ये सिर्फ तीन अक्षरों का शब्द है । लेकिन अगर गंभीरता व गहराई से इसे परखा जाए तो हमको इसमें सुख, दुख, हँसी,रोना, सफलता, असफलता,आदि सब दिखाई देगें।
जिन्दिगी एक गुलाब के फूल की तरह है। जिसमें कोमल पतियों के अलावा नुकीले काँटे भी हैं। आज केयुग में जिन्दगी का मायनें हीं बदल गया है। कई लोग जिन्दगी भर अपनी स्वाथं सिद्धी में ही लगे रहते हैं। बहुत कम लोग ही दूसरों के बारे में सोचते हैं।
जिन्दगी भगवान की ओर से मनुष्य को एक खूबसूरत देन है। मनुष्य को इसीलिए इस प्रकार का जीवन यापन करना चाहिए कि उसके जाने के बाद भी लोग उसे याद करें। याद तो बुरे वेकती को भी किया जाता है और अछे वेकती को भी।लेकिन याद करने में भी पारक आ जाता है। इसीलिए कि बुरे वेकतीयों को उनके बुरे कायों के लिए याद किया जाता है और अछे कायों के लिए। इसीलिए मनुष्य को सत्कर्म करना चाहिज।सिफँ अपने स्वाथं के लिए जिन्दगी नहीं जीना चाहिए।
मनुष्य को कई बार अपनी जिन्दगी में सफलता का एवम् निराशाऔं का सामना करना पडता है। लेकिन उससें घबरा कर कभी भी गलत कदम नही उठाना चाहिए।
वरन् साहस व धैयं से परिसथीयों का सामना करना चाहिए। तभी तो वह सही मायने में अपनी जिंदगी तो एक गणित की तरह है
जिसमें
असफलताओं को घटाया जाता है।
असफलताओं को जोड़ा जाता है।
सुख का गुणा किया जाता है।
और दुख का भाग दिया जाता है।
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