कामयाबी में सोच-समझकर उठाए गए और नपे-तुले ख़तरे भी शामील हैं। ख़तारे उठाने का मतलब यह नहीं है कि मूखतापूण जुआ खेलें और गै़र- जिम्मेदारी से पेश आएँ। लोग कई ग़ैर-जिम्मेदारीपूर्ण और ऊटपटाँग इस तरह इन बहानों का कोई अंत नहीं है।
कामयाबी में सोच-समझकर उठाए गए और नपे-तुले ख़तरे भी शामील हैं। ख़तारे उठाने का मतलब यह नहीं है कि मूखतापूण जुआ खेलें और गै़र- जिम्मेदारी से पेश आएँ। लोग कई ग़ैर-जिम्मेदारीपूर्ण और ऊटपटाँग इस तरह इन बहानों का कोई अंत नहीं है।
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