कविता

कितना प्यारा,कितना न्यारा
वह बचपन था मेरा
याद आ रहा है फिर मुझको
वही प्यारा सवेरा
बरगद का था पेड़ वही
जिस पर चिड़ियाँ करती बसेरा
वही था मेरा प्यारा कुता
जिसका नाम था रौकी
नानी हम दोनों को देती
खूब दूध मलाई
मेरे बाल काटता था
वही गुलाब नाई
बचपन के दिन थे कितने अछे
दोस्त भी थे मेरे कितने प्यारे
अब यही कहाता है मन
बचपन तुुम्हे बिदाई

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