हीरे का अपवर्तनांक 1.42 तथा कांतिक कोण240°होता है जो काँच की अपेक्षा बहुत कम होता है। जब प्रकाश विशेष ढ़ंग से तराशे गये हीरे पर पड़ता है तो प्रकाश कण हीरे अन्दर बार.बार अपवतित होता है और बार.बार परावतित होता है और प्रकाश केवल कुछ विशेष
स्थानों से ही बाहर निकलता है। अत: हीरा अधिक चमकिला दिखाई देता है।
Comments
Post a Comment